खुशी पाओगे तब,खुश रहोगे जब,(Then you will be happy, when you will be happy)

खुशी पाओगे तब,खुश रहोगे जब,(Then you will be happy, when you will be happy)

             मन की प्रसन्न्ता से हम खुशियों को लिए भरपूर जिंदगी का अद्वतीय आनन्द ले सकते हैं,बस जब कभी निराशा आ जाये और प्रयास करने के बाद भी परिस्थियां अनूकूल न हों पाएं,ऐंसी द्वंदात्मक स्थिति में,बड़ा मुश्किल होता है,खुशियों को खोजना। इस समय परिवार और समाज मे रहकर सभी को खुश नहीं रख सकते,अच्छा तो जब होगा,सभी के बीच मे रहकर हम स्वयं कुछ अनचाही बातों को नजरअंदाज करके स्वयं खुश रहने का,भरपूर प्रयास करते रहें। खुशी पाओगे तब,खुश रहोगे जब,(Then you will be happy, when you will be happy) ये न सोंचें कि हमें,यत्र-तत्र खुशियां मिलें,कुछ ऐंसे ही सम्बन्ध में ध्यान कीजिये कि "खुशी पाओगे तब,खुश रहोगे जब," स्वयं के ऊपर निर्भर है। कि आप अपना जीवन कैसा बनाना चाहते हैं??How do you want to make your life??

खुशी पाओगे तब,खुश रहोगे जब,(Then you will be happy, when you will be happy)Madhuri Bajpeyee
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             विचारों का तालमेल मनुष्य को बदल कर रख देता है बस आवश्यकता है तो उसके आचार,व्यवहार,कर्तव्य पर। यदि इन सब की दिशा सही राह पर चलती है,तो व्यक्ति निश्चित ही खुशियों से भरा मन,खुशियों से भरा जीवन परिपूर्णता की तरफ से अग्रसर होता है ।

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एक उदाहरण से समझते हैं :-



खुशी पाओगे तब,खुश रहोगे जब,(Then you will be happy, when you will be happy) एक समय जब गार्गी गीतों में अत्यंत ही रुचि लेती,तो उसकी सहेलियां,उसके इस हुनर को बखूबी जानती थीं,जब भी पार्टियों,सभाओं,कार्यक्रमों में दमदार प्रस्तूति की बारी आती थी तब,गार्गी की सहेलियां,पूर्ण विश्वास से गार्गी को कहतीं जाओ - "जाओ सखी आज ऐंसी गीतों की लहर छेड़ दो की यहां का सम्पूर्ण वातावरण तुम्हारे गीतों के रस से भर जाए।"

               इतना सुन गार्गी तुरंत मंच में जाकर एक दमदार प्रस्तूति देती है,पूरा माहौल उसके गीतों की लहरों में झूम जाता है,ऐंसा हमेशा ही हुआ करता था। गार्गी की खुश मिजाजी,और बिंदास होने के कारण जब भी किसी कार्यक्रम में वह देर से आती थी,तब उसकी लोग प्रतीक्षा करते थे,और जैसे ही गार्गी ने पूर्ण बिंदास और खुश होकर गीत का गान किसी कार्यक्रम मे किया तो उस कार्यक्रम में जान आ जाती थी,लोग गार्गी के गीतगान में मस्त होकर नाचा,झूमा करते थे,और सदा के लिए स्मरण में बसा लेते थे।

                लेकिन इस माता-पिता की प्यारी बेटी ने जैसे ही पढ़ाई पूरी की वैसे ही गीतों का सिलसिला थोड़ा थम सा गया,अब गार्गी,B.A.पास होकर ऑफीस-ऑफिस, नोकरी तलास प्रारम्भ करने लगी।

                जब वह 3 से 4 बार प्रत्यक्षकार में असफल हो गई, तब इस सखियों की चहेती गार्गी को लगा कि जीवन की खुशियां ही समाप्त हो गईं।और इस बिंदास लड़की ने यह सोचना प्रारम्भ कर दिया कि उसे तो अच्छी नोकरी मिलेगी ही नहीं।

                 उसका तो पढ़ाई करने का कोई मतलब ही नहीं रहा,नोकरी न मिलने के कारण - इस खुश मिजाज लड़की ने अपने रिश्तेदार,और उससे खूब स्नेह करने वाली सखियों से भी मिलना कम कर दिया। केवल और केवल अपनी खुशी को इस बिंदास और खुशमिजाज लड़की ने एक नोकरी पर ही क्रेन्द्रित कर दिया। 

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न करें खुशियां का केंद्रीयकरण

                  यदि जीवन मे कुछ लोग आपके अनुरूप न भी मिलें ,अर्थात आपके विचारों से ताल मेल न खाते हों, तो आप परेशान होने लगते हैं। जबकि ये लोग आपके जीवन के एकमात्र पात्र हैं,आप बाकी लोगों की ओर से देखिए,जीवन मे जिनके लिए आपका होना बहुत मायने होता है। आपके मित्र,आपके माता-पिता,आपके प्रशंसक।इसलिये न करे खुशियां का केंद्रीयकरण वरन करें खुशियों का विकेन्द्रीयकरण ।

                  जीवन मे जो ठीक नहीं चल रहा है बस,आप यहां से अपना ध्यान हटा दीजिए।फिर देखिए,समस्याएं खुद व खुद सुलझने लगती हैं।समस्याएं आने पर परिस्थितियोँ को स्वीकार कर आगे की सोचें। हम परिस्थितियों को तो नहीं बदल सकते लेकिन अपनी सोच को बदलाब जरूर कर सकते हैं।

जीवन मे कुछ समय खुद के लिए जरूर निकालें -

आप चाहते हैं कि आप खुश रहें तो

  • रात में भर पूर निद्रा लें, और शीघ्र उठें तथा सुबह सुबह उठकर प्रभात में घूमने जाएं।  
  • खुली हवा में सांस लें।
  • पक्षियों की चहचहाहट के साथ आनन्द पूर्वक एक हो जाएं।
  • बगीचे में ठहाके,व खुशियों से भरे लोगों के चहरे को देखिए।
  • अपने रुचि के लिए समय निकालिये।
  • अपने दोस्तों,रिश्तेदरों को भी भरपूर वक्त दें।
  • ​24 घण्टे में कुछ न कुछ एक सबसे पसंदीदी नया कार्य करने में लग जाइये।
  • अपने जीवन मे खुशी देने वाले पलों को बढाइये।और जब भी कभी खिलखिलाए हों उन क्षणों को याद रखिये । 

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श्रीमति माधूरी बाजपेयी

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