कुछ तो लोग कहेंगें(People will say something)

सबसे बड़ा रोग,क्या कहेंगे लोग?(The biggest disease, what will people say?)

कुछ तो लोग कहेंगें(People will say something)सबसे बड़ा रोग,क्या कहेंगे लोगmadhuri bajpeyee माधूरी बाजपेयी

             जीवन मे जो भी अवसर नजर आते हैं, तो कुछ परिस्थितियों के अनुकूल नहीं रहते और जब ये अबसर हमारे जीवन मे उत्थान की सीढ़ी बनकर आते हैं, तब भी हम समझ नही पाते और इस अबसर में स्थित होकर एक ही बात को दोहराए चले जाते हैं कि क्या कहेंगे लोग ??? कभी कभी जीवन के श्रेष्ठतम अवसर पर भी हम यही बात दोहराकर भूल जाते हैं, कि हमारा जीवन भी विकास के लिए बना है । और इसी कारण श्रेष्ठ अवसर हांथ से निकल जाता है ।

               बार-बार प्रकृति हमें, हर समय नये-नये अबसर खोज-खोज कर देती है,और हम यही बात को दोहराये चले जाते हैं,लोग क्या कहेंगे??ऐंसी परिस्थिति को देख मेरे मन मे एक गीत स्मरण में आता है- " कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है , कहना , छोड़ो बेकार की बातें ..........

               अपनी रूचि के अनुसार जीवन का एक लक्ष्य बनाएं । यह लक्ष्य ऐसा होना चाहिए, जिससे संसार का भी लाभ हो और आपका भी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यथार्थवादी योजना बनायें। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी उम्र कितनी है, किसी भी उम्र को पार कर जाना जीवन का अंत नहीं है , यह आने वाले दिनों की नई शुरुआत है , अपने लक्ष्य को तय करें और उन्हें हासिल करें, लेकिन दूसरों से तुलना करके या फिर मन ही मन पछतावा करते हुए दुखी मत होइए। जिंदगी में कभी देर नहीं होती बस आपको शुरुआत करना होती है।

समय से पहले, समय के चिंतन क्यो?? प्रतीक्षा करो

                आज सुनीता का 45वा जन्मदिन था, हर कोई उसे बधाई दे रहा था। लेकिन वह अभी भी उदास थी, उसकी सखी रागिनी ने अकेले में उदासी की वजह पूछी कि - ' सुनीता क्यों उदास हो??' - सुनीता बोली 45 साल की हो गई हूं, और अभी तक मेरा स्वयं की जमीन या घर नहीं है ना ही अभी तक किसी बच्चे की शादी हुई है,मेरे पास और मेरे साथ रहने वाली मेरी सखी, मेरे पड़ोसी,मेरे भाई-बहन सबके पास जमीन हैं, घर है, बच्चे पढ़ लिख गए हैं, उनकी शादी भी हो गई है।

ओहो ! कितनी देर हो गई है, जिंदगी बीती जा रही है और अब तक कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाई।

                रागिनी ने सुनीता को समझाते हुए कहा - 'सुनीता यदि तू ध्यान दे कि अधिक  से अधिक उद्दोगों में,व्यवसाय में दिल्ली से आगे मुंबई है । लेकिन इससे दिल्ली को कोई फर्क नहीं पड़ता या ऐंसा कह सकते हैं,कि दिल्ली पीछे तो नहीं रह गई। 

                यद्दपि दुनिया में हर किसी के समय का एक दौर होता है, कोई आप से आगे दिख सकता है तो कोई पीछे, लेकिन हर कोई अपनी दौड़ में अपने समय पर ही है ना किसी से ईर्ष्या करने की जरूरत है,और ना नकल करने या दुखी होने कि वे अपने समय के दौर में हैं,और हम अपने समय के दौर में हैं, सही समय की प्रतीक्षा करना ही जिंदगी है।

                 विश्राम करो, तुम एकदम समय पर हो और विधाता ने तुम्हारे लिए जो समय के दौर निर्धारित किया है, उसी के आनुसार हो।यह बात सुन-सुनीता थोड़ा शांत हो गई और अपनी समझ को बढा विश्राम में चली गयी।

अब नहीं होंगे आपके कोई भी अतिथि दूर,बस कर लीजिए जरूर ,पढ़ें या सुनें 

आज जीवन सुखमय हो सकता है

                 यह बातें जानना अत्यंत जरूरी है,कि समय तो चलाये मान है ।  यह किसी के लिए कभी नहीं रुकता है।लेकिन जैसे-जैसे यह बीतता है, नई शिक्षा,नया अनुभव , नई सीख भी देता जाता है । समय के इसी चक्र में हमारी सीख और हमारा अनुभव कभी-कभी असहाय नजर आने  लगता हैं, कई बार हमें लगता है कि जिन से हमारा सामना आज हो रहा है, उसे हमें बहुत पहले ही जान लेना चाहिए था । ऐसी ही कुछ बातें हैं,जिनको सुनने के बाद लगता है कि काश! यह सीख,यह अनुभव,यह जानकारी युवा अवस्था में मिली होती। तो आज भी जीवन और भी सुखमय हो सकता था।

इसे भी पढ़िये ईश्वर की बनाई हुई देह बड़ी कीमती है क्या इस देह का उपयोग कर लिया जाए???- by madhuri bajpayee 

अगला पड़ाव होगा सुखद

               जैसे हर रात के अंधेरा को समाप्त कर दिन आता है,ठीक उसी तरह हर पहलू का अंत होता है, और एक नए जीवन की नई स्थिति का जन्म होता है जरूरी नहीं है कि जो दर्द, जो दुख,जो पीड़ा,जो परेशानियां हमने अपने भूतकाल में सही हों, तो वही कड़वी बातें हमारा साथ भविष्य तक दें । इसलिए दुख है, तो उसका अंत भी होगा ही । और निश्चित रूप से जीवन का अगला पड़ाव खुशियों का भंडार से भर जाएगा।

स्वागत आपका मेरे face book ग्रुप पर जरूर join कीजिये और नित नवीन होते जाइए 

लोगों की बातों का ध्यान न दें 

                 "सबसे बड़ा रोग,क्या कहेंगे लोग?(The biggest disease, what will people say?)"- जब भी हम किसी लक्ष्य को तय करते हैं,या कहें कि जब भी हम किसी श्रेष्ठ मार्ग पर जाने की तैयारी कर रहे होते हैं,तो हमारे मन में, हमारी विचारधारा में,एक बार अवरोध आता ही है - कि लोग क्या कहेंगे । क्योंकि यह बात पूर्व के समय से ही हमारे मन के गहरे धरातल में जम चुकी है , और हम उस बात को छोड़ना नहीं चाहते हैं।

                  हम हमेशा एक निर्धारित सीमा पर ही रहना चाहते हैं, हम सीमा छोड़ कर आगे बढ़ने का प्रयास नहीं करना चाहते हैं । इसलिए जब भी दृश्य या अदृश्य अवसर आता है तो हम तुरन्त कहते हैं कि क्या कहेंगे लोग ??? जैसे कि लोगों को हमारे लिए ही फुर्सत है,और लोगों के पास कोई दूसरा काम ही नहीं है।

श्रीमति माधूरी बाजेपेयी
मण्डला , मध्यप्रदेश, भारत







Please join



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ